Tuesday, November 24, 2015

सौन्दर्य का घूंट घूंट आस्वाद


अमृतलाल वेगड़ जी से बतियाना नर्मदा की संस्कृति को जीना सरीखा है. इधर उनकी महत्वपूर्ण कला-पुस्तक प्रकाशित हुई है-"नर्मदा तुम कितनी सुन्दर हो’.



"जयपुर आर्ट समिट" में आयोजित पुस्तक लोकार्पण. में उनकी इस कृति पर आलोचकीय बोलने का अवसर सुखद था. 



नर्मदा के सौन्दर्य की ठौड़-ठौड़ व्यंजना इस पुस्तक में है. इसमें थोड़े शब्द हैं, चित्र और रेखांकन अधिक. इसमे उनके वह पेपर कोलाज हैं, जिनमे नर्मदा का सौन्दर्य झिलमिलाता हमें उसके होने का जीवंत अहसास कराता है. 



वेगड़जी के पास वह दृष्टि है जिसमे वह स्थानों को उसके भुगोल में ही नहीं वहां के संस्कार, संस्कृति में देखने वालों को बंचवाते हैं। यह सब लिख दिया है पर मैं फिर से इस कलाकृतिनुमा पुस्तक के पन्ने पलटने लगा हूं। सौन्दर्य का घूंट घूंट आस्वाद कर रहा हूं...

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