Friday, October 6, 2017

संस्कृति से अपनापा कराती केलीग्राफी कलाकृतियां

कैलीग्राफी यानी अक्षरांकन की दृष्यात्मक दीठ। आमतौर पर यही माना जाता है कि कैलीग्राफी के अंतर्गत अक्षरों को ही उकेरा जाता है परन्तु कलाकृतियों के सृजन का आधार भी यह है। यह सही है, मूलतः कैलीग्राफी में सुंदर अक्षरों को ही उकेरा जाता है परन्तु इससे महत्ती कलाकृतियों भी इधर सृजित हो रही है। 
संकतो का अर्थपूर्ण, सुव्यवस्थित आकार ही तो है कैलीग्राफी।...और यह जब है तो स्वाभाविक ही है कि इसके जरिए अर्थगर्भित कलाकृतियां भी आरंभ से ही सृृजित की जाती रही है।
अर्थ के आग्रह से मुक्त ऐसी ही कलाकृतियां के लिए कोरिया में बाकायदा प्रतिवर्ष आर्ट बिनाले भी होता है। पिछले दो दषको ंसे कोरिया में ‘द वर्ल्ड कैलीग्राफी बिनाले’ का आयोजन हो रहा है। इस बार यह बिनाले 21 अक्टूबर से 19 नवम्बर के दौरान होगा। यह महत्वपूर्ण है कि इस बिनाले में इस बार राजस्थान मूल के सुप्रसिद्ध कलाकार विनय शर्मा की कैलीग्राफी कलाकृतियां भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। 
विनय शर्मा अपनी कलाकृतियों में अतीत का एक तरह से पुनराविष्कार करते हैं। पुरानी बहियां, ताड़पत्र, जन्मपत्रियां और तमाम जो हमारी संस्कृति सं संबद्ध पुराना रहा है, उसे वह अपनी कलाकृतियो ंमें बड़े जतन से सहेजते हैं। इधर उन्होंने कैलीग्राफी कलाकृतियों का भी जो संसार रचा है, उसमें अतीत से अपनापा कराते भारतीय षोडस संस्कारों  के साथ ही संस्कृति से जुड़े बारीक तत्वों को अंवेरा है। प्राचीन अभिलेखों, सुसज्जति पांडुलिपियों, संग्रहालय में संग्रहित पुरावस्तुओं के साथ ही उन्होंने जीवन से जुड़े सांस्कृतिक सरोकारों को अपनी कैलीग्राफी कलाकृतियों में एक तरह से जिया है। उनकी ऐसी कलाकृतियां में भारतीय नृत्य, संगीत, नाट्य और वास्तुकला से संबद्ध संकेताक्षरों में कलाओं के ंअंतःसंबंधों को भी गहरे से जिया गया है।
विनय ने प्राचीन लिपियों की अपनी कैलिग्राफी कलाकृतियों में अतीत का आधुनिकता में एक तरह से पुनराविष्कार किया हैं। उनकी कलाकृतियों में अक्षरांकन के अनूठे दृष्यालेख उभरते हैं। उन्होंने प्रकृति और जीवन से जुड़ी कैलिग्राफी पेंटिंग श्रृंखला बनाई है। इसमें पेड़-पौधों और जीवन से जुड़े सरोकारों की मनोरम व्यंजना हुई है। इसी प्रकार उन्होंने लघु कैनवस पर कुछ समय पहले  कैलिग्राफी पेंटिंग में ही गणेष के बहुविध रूपों को भी प्रदर्षित किया था। षिव के आदि, अनादि स्वरूप, भगवान श्री कृष्ण के पौराणिक आख्यानों को भी उन्होंने कैलीग्राफी की अपनी कला में गहरे से जिया है। 
कोरिया में आयोजित होने जा रहे ‘द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले’ में विनय शर्मा भारतीय संस्कृति से जुड़े इसी तरह के आख्यानों आधारित अपनी कैलिग्राफी पेंटिंग का प्रदर्षन करेंगे। विनय शर्मा बताते हैं, ‘कैलीग्राफी अथवा अक्षरांकन  की ही नहीं कलाकृतियों रचने की भी दृश्यात्मक शैली है। प्राचीन काल में कैलीग्राफी के जरिए ही इतिहास का चित्रात्मक प्रदर्षन किया जाता था। अतीत से जुड़े संदर्भों की कैलिग्राफी दृष्य कहन है। ‘द वर्ल्ड कैलिग्राफी बिनाले’ विष्वभर के कैलिग्राफी कलाकारों का साझा मंच है।’
कतर में दोहा एशियाई खेलों के दौरान आयोजित एशियन आर्ट प्रदर्शनी में भी विनय ने इससे पहले भारतीय कला का प्रतिनिधित्व किया था। इंग्लेण्ड, पोलेण्ड, साउथवेल्स सहित देश विदेश में उनकी अनेकों एकल चित्र प्रदर्शिनियां आयोजित होती रही है। यह महत्वूर्ण है कि कोरिया में आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड कैलीग्राफी बिनाले में भारतीय संस्कृति से जुड़ी कला विनय के जरिए विष्वभर में पहुंचेंगी।

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