Thursday, November 11, 2021

'यात्रावृत्तांतीय लय में विन्यस्त कविताएं'

 कोरोना के इस प्रकोप से बस कुछ ही समय पहले, संजोग से बहुत सारी यात्राएं हुई थी। उन्हीं में से एक यात्रा 'एलोरा' की भी थी। वहां के शिल्प—स्थापत्य में रमते कवि हुआ था— मन। शब्द—शब्द जो झरा, उसे तब डायरी में सहेजा था। सुखद है, राजस्थान साहित्य अकादेमी की पत्रिका 'मधुमती' ने उसे अपने मई—2021 अंक में अंवेरा है।...संपादक मित्र डॉ. ब्रजरतन जोशी ने इन कविताओं को 'यात्रावृत्तांतीय लय में विन्यस्त कविताएं' कहा है—





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