Thursday, June 25, 2009

पेड़ बोलते हैं



डेली न्यूज में प्रति शुक्रवार प्रकाशित लेखक का कॉलम कला तट 19-6-09


कलाकार कैनवस पर जब चित्र उकेर रहा होता है तो प्रकृति के सारे रूप और रंगाकार उसकी स्मृतियों में कौंध रहे होते हैं। ऐसे में वह जैसा प्रकृति को देखता है, ठीक वैसा ही नहीं उकेर कर खुद अपनी समझ को भी कैनवस पर उतार रहा होता है। लालचंद मारोठिया प्रकृति की वैविध्यताओं को चित्रित करते पेड़ पौधों का अद्भुत लोक रचते हैं। इस लोक में दृश्य जैसे दिखायी देते हैं, ठीक वैसे ही नहीं होकर सुक्ष्म संवेदना दृष्टि का जैसे विस्तार पाते है।

काले-सफेद रेखांकन में मारोठिया के चित्रों में जीव-जीवाश्म वनस्पति और बहुत कुछ उन चीजों का अहसास है जिनसे कि हमारा रोज का नाता है। पिछले दिनों उन्होंने जब अपनी इस कला पर सद्य प्रकाशित क्वपेड़ बोलते हैंं पुस्तक घर आकर भेंट की तो सुखद आश्चर्य हुआ। आवरण सहित कुल 20 पृष्ठों की इस पुस्तक में वृक्षों मे छुपी भाव-भंगिमाओं के 27 सांगोपांग रेखाचित्र है। सभी चित्रों के साथ है समय-समय पर कला समीक्षकों द्वारा लिखी गयी टिप्पणियां और अदृश्य में है स्वयं उनकी सम्पादकीय दीठ। हिन्दी में कला पर यह सर्वथा नयी पहल है। अव्वल तो हिन्दी में कला पर ऐसी पुस्तकें है ही नहीं और यदि हैं तो वे कैटलॉगनुमा ही हैं।

बहरहाल मिनिएचर चित्रकार होते मारोठिया ने प्रकृति कोे विशिष्ठ रूप में देखने का नया कलाबोध दिया है। ऐसा बहुत कुछ उनके चित्रों में है जो अनूठा और अदृश्य होते हुए भी दृश्य का बोध कराता है। यथार्थ का विकल्प प्रदान कराते उनके चित्र भावों में प्रकृति से जुड़े आत्मीय संगीत को सुना जा सकता है। उनके चित्रों में फैली और आपस में एक दूसरे से लिपटी तो कभी एकमेक या गुत्थमगुत्था होती लताएं प्रकृति और जीवन के उलझाव को भी दर्शाती हैं। यही नहीं प्रकृति में आया बदलाव भी उनके ऐसे रेखांकन में हैं। यहां प्रकृति केवल अपने होनेभर के लिये नहीं है बल्कि उसकी गूंज में भविष्य के अनहोनेपन की चेतावनी भी है। सच यह भी है कि प्रकृति का सौन्दर्य उनके चित्रों में नैरन्तर्य की मांग करता है।

लालचन्द मारोठिया की पुस्तक पेड़ बोलते हैंं के पन्ने पलटते मन में भाव जग रहे हैं-अन्र्तनिहित भाव संवेदनाओं को समृद्ध, अनुभव के क्षेत्र को गहरा ओर क्षितिज को विस्तृत करता है। अपनी कला रचना के माध्यम से कलाकार स्वयं रसानुभूति करता है इसके बाद ही वह दशZक को रसानुभूति कराता है। पेड़ बोलतें की सर्जना का यही फलक है।

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