Sunday, January 6, 2013

बचा है कुछ हरा



पेड़ों में 
बचे हैं 
अभी भी 
हरे पत्ते; 
नम आंखों में 
बचे हैं 
अभी भी 
बहुत-से सपने; 
धूप में 
बची है 
अभी भी 
थोड़ी-सी छांव; 
रीतते मन में 
बचा है 
अभी भी 
बीता अतीत; 
उदासी में 
बची है 
अभी भी 
थोड़ी-सी मुस्कान; 
बाहर नही तो अंदर 
बचा है 
अभी भी 
कुछ हरा। 
नहीं, 
अभी तो 
कुछ भी 
नहीं झरा।

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