Wednesday, February 24, 2016

देखने, सुनने और गुनने का संस्कार देती कलाएं

कलाएं देखने, सुनने और गुनने का संस्कार देती है। खजुराहो नृत्य समारोह में 'कलावार्ता' के अंतर्गत दिए व्याख्यान के केन्द्र में यही सबकुछ साझा किया। 

सुखद लगा, विश्व के बेहतरीन नृत्य आयोजनोें में से एक 'खजुराहो नृत्य महोत्सव' कलाओं के अंर्तसंबंधों का संवाहक बनता जा रहा है। जब बोल रहा था, सुनने वालों में नृत्य से जुड़ी देश की प्रतिभाएं थी, चित्रकार थे, नाट्य कलाकार थे और थे साहित्य की संवेदनाओं से जुड़े वह रचनाकार भी जो कलाओं में सौंदर्य की मेरी अनुभूतियों का रस ले रहे थे। 

...कलाओं के विशाल भव से स्वयं भी तो निरंतर साक्षात् होता वहां अपने को संपन्न पा रहा था। कभी न भुला देने वाली अनुभूतियां सहेजे देह से लौट आया। ...मन की यात्रा तो अविराम है. 


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