Friday, May 21, 2010

दृश्य यथार्थ का नया मुहावरा बनाते चित्र

अमित कल्ला ने सम-सामयिक कला में इधर अपनी सर्वथा नयी पहचान बनायी है। अभिनव अंतर्दृष्टि और तकनीक की सुस्पष्टता के साथ ही सौम्य, संवेदी और अबाध रेखाओं के उसके चित्रों में परिकल्पित रंग संयोजन भी अलग से ध्यान खींचता है। लगभग सभी चित्रांे में हरे, नीले, काले, पीले, लाल आदि सभी रंग हल्के, ऐंद्रिक और नियंत्रित हैं। शास्त्रीय परिवेश में आधुनिकता को परोटते अमित अपने चित्रों के प्रतीक और बिम्बों के जरिए जैसे खुद के सर्जक मन की आकांक्षाओं की तीव्रता का उद्गार करते है।

कुछ साल पहले जयपुर में ही अमित के घर पर बने स्टूडियों में कवि, आलोचक नंदकिशोर आचार्य एवं प्रयाग शुक्ल के साथ जाना हुआ था। उसकी कलाकृतियों में अंतर्निहित शक्ति, एंेद्रिकता और वस्तुपरकता ने पहले पहल तभी प्रभावित किया था। बाद में तो कला प्रदर्शनियों और अन्य संदर्भों में निरंतर उसकी कलाकृतियों से साक्षात्कार हेाता रहा है। हर बार उसके चित्रों की तात्विकता और निजता ने आकर्षित किया है। अमित के चित्रो में स्वर लहरियों का उभरता अमूर्तन भी बेहद आकर्षक है। आरोह-अवरोहण के ऐसे ही उसके एक चित्र में काले, पीले, नीले और लाल रंग से उभरते रंगीय थक्कों में आकाश और पृथ्वी की ऊर्जा के प्रतीक के रूप में उभरते ग्रह, नक्षत्र, तारे, चांद और भिन्न आकृतियो के फूलों में सर्वथा नया अर्थोन्मेष हैं। यहां सफेद पिरामिड में उभरते बिन्दु कैनवस की अनंत ऊर्जा के  जैसे संवाहक बने हैं। उनका यह चित्र ऐसा है जिसमें प्रकृति और जीवन का संगीत है। रंगों के प्रवाह में जीवन को गहरे अर्थों में व्याख्यायित करते ऐसे ही उसके दूसरे चित्रों में मोरपंख, प्रवाल भित्तियां, शंख, सीपी और आदिवासी कला की मांडनाकृतियां सरीखे बिम्ब और प्रतीक दृश्य यथार्थ का नया मुहावरा बनाते हैं।

अमित ने कभी एनर्जी चित्र श्रृंखला बनायी थी। इसमें आकृतियों की जकड़न है परन्तु तकनीकी की जटिलता नही है। गहरे नीले रंग की एक दूसरे से गुत्थमगुत्था होती आकृतियों की ज्यामितीय संरचना में मौलिकता में अनूठी कल्पनाशीलता है। ऐसे उसके चित्रों की जटिल संरचनाओं में भी रेखाएं सौम्य, संवेदी और अबाध रूप में प्रवाहपूर्ण है। व्यक्तिगत मुझे लगता है, अमूर्तन में स्पष्टता लिए उसके चित्रों में अनूठी गीतात्मकता है।

"डेली न्यूज़" में प्रति शुक्रवार को एडिट पेज पर प्रकाशित डॉ. राजेश कुमार व्यास का स्तम्भ "कला तट" दिनांक २१-५-2010

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