Friday, October 3, 2014

रंग और रेखाओं की लयकारी

अवधेश मिश्र की कलाकृति 
शुद्ध रूप से कला जीवन है।  एक तरह से अलंकार का दर्शन। वहां जो कुछ प्रत्यक्ष दीखता है, वही पूर्ण नहीं है, उससे परे भी बहुत कुछ है-चिंतन से जुड़ा । लय अंवेरता!  प्रकृति को ही लें। ध्वनियां वहां कम थोड़े ना है, पर उनमें यदि कोई संगत नहीं है, लय नहीं है तो फिर वह संगीत नहीं होगा। चित्रकला में भी यही है। रेखाएं तभी सधेगी जब उनमें लय होगी। 
अभी बहुत दिन नहीं हुए, अवधेश मिश्र के कैनवस पर उकेरे चित्रों का आस्वाद किया था। अपनी नई चित्र श्रृंखला को उन्होंने नाम दिया है ‘रिद्म’। रंग और रेखाओं की लय में जीवन के बिम्ब। खंड-खंड, अखंड। टूटे हुए, अधुरेपन और दरारों को जोड़ते, एकाकार करने की रेखाओं की संगत ही दरअसल उनके इन चित्रों का आधार है। चित्र है, भांत-भांत के दृश्य है पर रेखाओं की गांठ से जैसे उन्हें जोड़ा गया है। ध्वनित रंगों की लय में व्यक्ति है, उसका परिवेश है, बंधनों की जकड़न है, मुक्ति की छटपटाहट भी पर सबके सब लय के जैसे अधीन हैं। एक चित्र तो अद्भुत है। दृश्य कोलाज पर कोने से लहराती धवल चुनर। लय का निखार! 

डॉ अवधेश मिश्र 
बहरहाल, ‘रिद्म’ में चित्रों की विविधता है। मसलन एक में चांद है, धरती है और सीढि़यों के साथ तमाम विषय-वस्तु का रेखाओं से जैसे गठजोड़ किया गया है। उनके इस चित्र को देख औचक सुप्रसिद्ध कवि नंदकिशोर आचार्य का कविता संग्रह ‘चांद आकाश गाता है’ भी कौंधा। ‘रिद्म’ श्रृंखला के चित्रों में चट्टानें, दरारें, गांठे, वृक्ष की टहनियां, कोटरी, सीढि़यां, हरितिमा से आच्छादित धरा है तो अनंत का द्योतक आसमान भी है। पर यहां सब कुछ अपने आप में पूर्ण नहीं है। कोई एक है तो दूसरा उसमें जैसे समाया हुआ है।घुला-मिला। माने एक-दूसरे से बंधी हुई पूर्णता वहां है। ऐसे लगेगा जैसे जुड़ाव के लिए वस्त्र की गांठे लगाई गई है-कभी न खुलने वाली। पर जो कुछ भी गांठो से जुड़ा है, उसमें अद्भुत लय है। शहद घुली मिठास सरीखी। पीले, हरे, नीले, गहरे लाल और तमाम दूसरे रंगों का अद्भुत मिश्रण अवधेश ने अपनी इस श्रृंखला में कैनवस पर किया है। रंग और रेखाओं के साथ संवेदनाओं का घोल ‘रिद्म’ श्रृंखला के चित्रों में है। लय का अर्थ ही है लीन होना। रम जाना। 

कलाकृति : अवधेश मिश्र 
संगीत का मूल इसीलिए तो लयकारी है। प्रकृति में घुली ध्वनियां मिलकर ही करती है, लय का अनुसरण। इस दीठ से अवधेश मिश्र के रंग और रेखाएं अद्भुत लय अवंेरती है। चिंतन-मनन और ध्यान का आह्वान करती। रूप विन्यास और कथ्य में संगीत की अनुभूति कराती। संगीत अदृश्य होता है पर सुनने की अनुभूति जीवंत! ऐसे ही उनके इन एब्सट्रेक्ट चित्रों के साथ हैं। भले वहां सब कुछ स्पष्ट नहीं है पर व्यक्त की लय है। कहूं, ‘रिद्म’ श्रृंखला सांगीतिक आस्वाद में इसीलिए न भुलाने वाला है।  

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