Friday, May 9, 2014

दृश्य की अनंत संभावनाओं का भित्तिशिल्प

डेली न्यूज़ में प्रति शक्रवार प्रकाशित कोलम " कलातट"
हिम्मत शाह की कला दृश्य की अनंत संभावनाओं का आख्यान सरीखी है। आॅक्तिवो पाज ने कभी उनकी कला के बारे में लिखा है, ‘हिन्दुस्तान के वह सर्वाधिक क्रिएटिव आर्टिस्ट है।’ इस समय में भी उनके शिल्प, रेखांकन और संस्थापन में इसे गहरे से अनुभूत किया जा सकता है।
बहरहाल, कला के अपने आरंभिक दिनों में हिम्मतशाह ने अहमदाबाद के संेट जेवियर स्कूल में तीन बड़े रिलिफ किए थे। यह 1968-69 की बात है। अति सूक्ष्म, हल्के, और दीवार की धरातल के अंदर और बाहर भित्तिशिल्प की यह देश की विरल सौन्दर्य व्यंजना है। साठ के दशक में कैमरा जब बहुत कम लोगों के पास था और बहुत सारी ऐतिहासिक धरोहरें काल कवलित हो रही थी, उनसे जुड़ा इतिहास भी जैसे लोप हो रहा था। ऐसे में हिम्मतशाह के मित्र सुरेन्द्र पटेल ने जेवियर में उनकी इस अनूठी कला को देखा और कैमरे से क्लिक दर क्लिक उसे संजो लिया। दीवार पर इंटों, सीमेंट के जोड़ के साथ शिल्प का अनुठा सौंदर्य संयोग! छायांकन में यह धरोहर बरसों तक हिम्मतशाह अपने पास सहेजे रहे। भित्तिशिलप का वही खजाना अब ‘हाई रिलिफ वर्क बाई हिम्मतशाह’ छायांकन-शब्दांकन एलबम के जरिए सामने आया है। इसमें हिम्मतशाह के भित्ति शिल्प से संबंधित विचार हैं, उससे जुड़ी संकल्पना है और है वह निर्माण प्रक्रिया भी जिसमें हिम्मतशाह जैसे कलाकार के शिल्प को गहरे से जाना जा सकता है।
हिम्मतशाह 
हिम्मतशाह की कला ही बोलती रही है, वह स्वयं सदा इस बारे में मौन रहे हैं। इस दीठ से ‘हाई रिलिफ वर्क बाई हिम्मतशाह’ और भी महत्वपूर्ण है। इसमें उनका मौन मुखर हुआ है। ठोड़-ठौड़ उनका कहन कला के मर्म में जैसे ले जाता अंदर से मथता है, ‘कलाकार की आंख हृदय से हाथ और फिर निर्माण सामग्री की ओर देखती है।’, ‘सूर्य की किरणों के साथ छाया-प्रकाश को अनुभूत करते लगता दीवार उस आत्मा स्वरूप हो गई है जिसमें केवल पानी प्रतिबिम्बित होता है।’,‘जब कल्पनाएं मुस्कुराती है तो कला जन्म लेती है।’, ‘कलाकार पहेली सिरजता है, स्वयं भी पहेली बन जाता है।’, ‘एक बार जो सृजित हो जाता है फिर दुबारा वैसा सृजित नहीं हो सकता। क्षण एक बार ही आता है।’
सच भी है! हिम्मतशाह ने जो सिरजा, वह दुबारा कैसे सृजित हो सकता है। भारतीय कला में उनका यह भित्ति शिल्प इतिहास की अनमोल धरोहर ही तो है!  इससे जुड़े छायाचित्र, रेखांकन, वृत्त, छाया-प्रकाश प्रभाव और शब्द उजास ‘हाई रिलिफ वर्क बाई हिम्मतशाह’ में बंया है। और हां, हिम्मतशाह इसमें उन कारीगरों, मित्रों का भी जिक्र करते हैं जो इस कार्य के लिए उनके साथ परोक्ष-अपरोक्ष साथ थे। हिम्मतशाह ने अब तक अपनी कला पर कभी कुछ नहीं कहा परन्तु भित्ति शिल्प सौन्दर्य की सर्जना के बहाने उनके मौन को सुना जा सकता है।


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